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Wednesday 6 January 2016

अंतर्मन !!



अंतर्मन !!

धरती के आँचल में हर पल रहते हैं,
   हर मौसम और हाल में हम खुश रहते हैं !!

                  31 दिसंबर को नववर्ष की पूर्व संध्या पर जंतर मंतर, कनाट प्लेस पर बहुत से पर्यटक आये हुए थे .. दुनिया से बेखबर कई प्रेमी युगल सपनों के असीमित संसार में कल्पनाओं की उड़ान भरते आपस में खोये हुए दिख रहे थे. 

                वहीँ ये परिवार, दुनिया की चकाचौंध से बेखबर, जिस लॉन पर लोग चहलकदमी कर रहे थे, उस पर उग आई चंदोली घास को चुनकर शाम की सब्जी का इंतजाम करने में मशगूल था !! खुश था .. अपने हकीकत भरे छोटे से संसार में !! 


                   बड़े-बड़े दावों के बीच नयी-नयी सरकारें बनती होंगी.. उससे इनको क्या सरोकार !! इनका तो यही क्रम विगत तीन वर्षों से चल रहा है ..शायद दुनिया एक जगह ठहर गयी है !!
                   कितना अंतर है ना !! कल्पना के संसार में और हकीकत के संसार में !!! जरूरी नहीं कि कल्पना, मूर्त रूप ले पाए अगर मूर्त रूप ले भी तो न जाने कितना समय लगे !! लेकिन जो मूर्त है उसके लिए न कल्पना की आवश्यकता है न समय का इन्तजार !!! शायद इसी लिए संतों ने वर्तमान में जीने की सलाह भी दी है..

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