ये तो है राजशाही के दौर में प्रयोग किये जाने वाले भालों का संग्रह मगर ये सब देखकर सोचता हूँ कि...
राजशाही में चारणों द्वारा महिमामंडन करवाकर राजाओं को आम जन के मध्य देव रूप में स्थापित किया जाता था !
लोकतंत्र में मीडिया व चाटुकारों द्वारा मिथ्या यशोगान करके नेताओं को आम जन के मध्य देव रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जाता है !!
इस तरह राजा व नेता समतुल्य ही हुए.
तो फिर राजशाही और लोकतंत्र में अंतर ?
राजशाही में चारणों द्वारा महिमामंडन करवाकर राजाओं को आम जन के मध्य देव रूप में स्थापित किया जाता था !
लोकतंत्र में मीडिया व चाटुकारों द्वारा मिथ्या यशोगान करके नेताओं को आम जन के मध्य देव रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जाता है !!
इस तरह राजा व नेता समतुल्य ही हुए.
तो फिर राजशाही और लोकतंत्र में अंतर ?
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