राजनीति !!
मूल्यरहित
राजनीति के दौर में भी शुचिता व नैतिक मूल्यों का जीवन व्यतीत करने वाले
जनप्रिय नेता, आदरणीय अटल जी को शुभ जन्म दिवस पर हार्दिक बधाइयाँ व शुभ
कामनायें ।।
1987 के आसपास की बात है तब बी जे पी का उत्तराखंड में खास जनाधार न था.माननीय अटल जी जनाधार मजबूत करने उत्तराखंड के तूफानी दौरे पर थे. रंवाई क्षेत्र की बात है उत्तराखंड राज्य हेतु जन मानस में उत्सुकता थी.
एक जिज्ञासु ने माननीय अटल जी से उत्तराखंड राज्य गठन के सम्बन्ध में समर्थन व विचार जानने चाहे तो ..
अटल जी ने पूछा, " आपको आखिर अलग उत्तराखंड राज्य क्यों चाहिए ?"
प्रश्नकर्ता ने त्वरित उत्तर दिया, " हमारे यहाँ से लखनऊ की दूरी बहुत अधिक है और हमें हर काम के लिए लखनऊ जाना पड़ता है, बहुत समय और धन की आवश्यकता होती है !! " (तब उत्तराखंड राज्य गठन नही हुआ था तो उत्तराखंड वासियों को सचिवालय, उच्च न्यायालय आदि के काम से लखनऊ जाना होता था)
माननीय अटल जी का इस तरह की मन स्थिति पर करारा जवाब था .. इस तरह तो फिर आप यह भी कहने लगेंगे .. यहाँ से दिल्ली बहुत दूर है !!!
क्या आज की तुष्टिकरण द्वारा वोट बैंक की राजनीती में, इस तरह का जवाब कोई राजनेता दे सकने की कुव्वत रखता है ?? मुझे संदेह है !!!..
माननीय अटल जी आपको व आपकी राष्ट्रीय अखंडता को समर्पित,राष्ट्रवादी सोच हेतु कोटिश: सादर नमन..
उसी दौरान मुझे उत्तरकाशी निरीक्षण भवन में जन प्रिय नेता श्री अटल जी का करीब से साक्षात्कार करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था.
सोचता हूँ दलगत राजनीती से हटकर राष्ट्रवादी चिंतकों को अवश्य याद किया जाना चाहिए जिससे अगली पीढ़ी को प्रेरणा व संस्कार प्राप्त हों .
1987 के आसपास की बात है तब बी जे पी का उत्तराखंड में खास जनाधार न था.माननीय अटल जी जनाधार मजबूत करने उत्तराखंड के तूफानी दौरे पर थे. रंवाई क्षेत्र की बात है उत्तराखंड राज्य हेतु जन मानस में उत्सुकता थी.
एक जिज्ञासु ने माननीय अटल जी से उत्तराखंड राज्य गठन के सम्बन्ध में समर्थन व विचार जानने चाहे तो ..
अटल जी ने पूछा, " आपको आखिर अलग उत्तराखंड राज्य क्यों चाहिए ?"
प्रश्नकर्ता ने त्वरित उत्तर दिया, " हमारे यहाँ से लखनऊ की दूरी बहुत अधिक है और हमें हर काम के लिए लखनऊ जाना पड़ता है, बहुत समय और धन की आवश्यकता होती है !! " (तब उत्तराखंड राज्य गठन नही हुआ था तो उत्तराखंड वासियों को सचिवालय, उच्च न्यायालय आदि के काम से लखनऊ जाना होता था)
माननीय अटल जी का इस तरह की मन स्थिति पर करारा जवाब था .. इस तरह तो फिर आप यह भी कहने लगेंगे .. यहाँ से दिल्ली बहुत दूर है !!!
क्या आज की तुष्टिकरण द्वारा वोट बैंक की राजनीती में, इस तरह का जवाब कोई राजनेता दे सकने की कुव्वत रखता है ?? मुझे संदेह है !!!..
माननीय अटल जी आपको व आपकी राष्ट्रीय अखंडता को समर्पित,राष्ट्रवादी सोच हेतु कोटिश: सादर नमन..
उसी दौरान मुझे उत्तरकाशी निरीक्षण भवन में जन प्रिय नेता श्री अटल जी का करीब से साक्षात्कार करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था.
सोचता हूँ दलगत राजनीती से हटकर राष्ट्रवादी चिंतकों को अवश्य याद किया जाना चाहिए जिससे अगली पीढ़ी को प्रेरणा व संस्कार प्राप्त हों .
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