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Sunday, 20 September 2015

फुटबॅाल विवेचना



                     फुटबॅाल विवेचना   

भारतीय फुटबॅाल टीम के कप्तान सुनील छेत्री के साथ पुत्र चैतन्य 

       आज हमारे साहबजादे, चैतन्य ख़ुशी से कुप्पा हुए जा रहे थे तो हमने राज जानने की गरज से पूछा, “जनाब हमें भी कुछ बताइये..माज़रा क्या है ?” तो छोटे मियाँ ने झट से लैपटॉप खोला और ये तस्वीर दिखाई ! हमने खुद को गैर वाकिफ सा जताते हुए छेड़ने की नियत से सवाल दागा, “ अमा मियाँ ! अब ये किसको दोस्त बना लिया ?” साहबजादे आश्चर्य से मुझे ताकते हुए बोले “ क्या पापा ! आपको इतना भी पता नहीं !! ये भारत की फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री हैं !” हमने दिमागी घोड़ों को कुछ और तेज दौड़ाते हुए चुटकी लेने के अंदाज़ में कहा, “ अमा मियां आप हद करते हो ! हर वक्त बस फुटबाल पर ही अटके रहते हो !! आपको पता है, FIFA के 209 मेम्बरान मुल्कों में कोस्टारिका जैसे 45 लाख की आबादी वाले देश 14 वीं पायदान पर है लेकिन सेलेक्सन में, सिफारिश और भाई-भतीजावाद के कारण सवा अरब की आबादी लिए हमारा मुल्क 147 वीं पायदान पर है !! शुक्र मनाओ !! कि हम बांग्लादेश और पाकिस्तान से कुछ ऊपर हैं !”
       अब छोटे मिंया कुछ संजीदा होकर बोले, “ पापा, अब क्रिकेट के IPL की तरह फुटबॉल में भी ISL (Indian Super League) शुरू हो गया है, अब भारत जरूर तरक्की करेगा. “ छोटे मिंयाँ की बात से इत्तेफाक जताते हुए हमने उनसे ये तस्वीर ले ली ..
          गौरतलब है कि सुनील छेत्री ने भाइचुंग भूटिया को पछाड़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल मैचों में भारत की तरफ से अब तक का सर्वाधिक 45 गोल करने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है.. चैतन्य आजकल छुट्टियों में फुटबॉल कोचिंग के लिए अम्बेडकर स्टेडियम जाता है वहीँ भारत की फुटबॉल टीम की विश्व कप क्वालीफाईग मुकाबलों का प्रथम चरण क्वालीफाई करने के बाद द्वितीय चरण को क्वालीफाई करने के लिए तैयारी चल रही है.
          स्वयं क्रिकेट का अच्छे स्तर का खिलाडी रहने के बावजूद भी, बेटे को क्रिकेट की चकाचौंध से अलग रखकर मैंने सदैव फुटबॉल के प्रति प्रोत्साहित किया है और .भारत में दूर दराज के गाँवों में भी अपनी पैंठ बनाये रखने वाले एकमात्र खेल फुटबॉल के उज्जवल भविष्य के प्रति आशान्वित हूँ. भारतीय फुटबॅाल टीम हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ ।
        क्रिकेट को दूसरे खेलों की दयनीय स्थिति का कारण बताकर विलाप करने से अधिक उचित है कि हम इस दिशा में स्वयं ही अपने स्तर पर पहल करें ...... सफलता तो सदैव भविष्य के गर्भ में समायी रहती है लेकिन हम प्रयास तो कर ही सकते हैं।
 

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