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Saturday, 26 September 2015

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन..


           शादी के व्यस्त माहौल के बीच कुछ शांत और एकांत के पल बहुत सुकून देते हैं.
सुनसान और अँधेरी राहों पर गुलज़ार साहब का लिखा गीत ताज़ा हो आता है ..इस गीत से जुड़ी रोचक जानकारी भी देना चाहूँगा ••••
                                    
                                  " दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन.
                                           बैठे रहें तस्सवुर-ए-जानां किए हुए..."
          जब भी हम ये गीत सुनते हैं , तो कह उठते हैं कि वाह! गुलज़ार साहब ने क्या गीत लिखा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऊपर के ये दो लाईन गुलज़ार साहब ने नहीं लिखी हैं, मिर्जा ग़ालिब साहब ने लिखी हैं। गुलज़ार साहब ने सिर्फ इसका अंतरा लिखा है। ये अलग बात है कि अंतरा भी उतना ही लाज़वाब है जितना कि मुखड़ा।
 

Wednesday, 23 September 2015

फेसबुक मित्र समागम ..


     फेसबुक मित्र समागम ..

  उम्र का बंधन नहीं
न रुत्बे का ही गुरुर
दोस्ती मांगती है
   सिर्फ ... दिल में...
प्यार और स्नेह का
    कोना एक जरूर...
 
  फेसबुक पर हम पोस्ट या चैट के माध्यम से आभासी मित्रों से रूबरू होते हैं लेकिन यदि हकीकत में फेसबुक मित्रों से साक्षात्कार हो जाय तो उस आत्मीय,खुशनुमा और अनौपचारिक माहौल को शब्दों में बयां कर पाना कठिन हो जाता है. इसी क्रम में आज फेसबुक मित्र सम्मिलन के सूत्रधार बने, मेरे बायीं तरफ बैठे सम्मानित श्री सतीश पुरोहित जी, जो सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, सम्मानित श्री जी.एस. चड्ढा जी, जो कि फैशन डिज़ाइनिंग कम्पनी में मैनेजर हैं. मेरे दायें, सम्मानित श्री ए.के अरोड़ा जी, जो की वर्तमान में नॉएडा में ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स में असिस्टैंट जनरल मैनेजर हैं और परिसर के सुरक्षा कर्मी, फोटो क्लिक करने वाले मित्र हैं सम्मानित श्री अजिताब जी, जो क्रिएटिव डाइरेक्टर हैं, विज्ञापन फिल्म और डॉक्युमैन्ट्री निर्माण करते हैं..
मेरे अतिरिक्त सभी एक से बढ़कर एक बड़ी हस्ती !! लेकिन सभी के सरल और सहज व्यवहार ने मन मोह लिया !! धन्यवाद सम्मानित साथियों , आपका सानिध्य सुख पाकर मैं अभिभूत हुआ ..
धन्यवाद फेसबुक ...

Sunday, 20 September 2015

फुटबॅाल विवेचना



                     फुटबॅाल विवेचना   

भारतीय फुटबॅाल टीम के कप्तान सुनील छेत्री के साथ पुत्र चैतन्य 

       आज हमारे साहबजादे, चैतन्य ख़ुशी से कुप्पा हुए जा रहे थे तो हमने राज जानने की गरज से पूछा, “जनाब हमें भी कुछ बताइये..माज़रा क्या है ?” तो छोटे मियाँ ने झट से लैपटॉप खोला और ये तस्वीर दिखाई ! हमने खुद को गैर वाकिफ सा जताते हुए छेड़ने की नियत से सवाल दागा, “ अमा मियाँ ! अब ये किसको दोस्त बना लिया ?” साहबजादे आश्चर्य से मुझे ताकते हुए बोले “ क्या पापा ! आपको इतना भी पता नहीं !! ये भारत की फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री हैं !” हमने दिमागी घोड़ों को कुछ और तेज दौड़ाते हुए चुटकी लेने के अंदाज़ में कहा, “ अमा मियां आप हद करते हो ! हर वक्त बस फुटबाल पर ही अटके रहते हो !! आपको पता है, FIFA के 209 मेम्बरान मुल्कों में कोस्टारिका जैसे 45 लाख की आबादी वाले देश 14 वीं पायदान पर है लेकिन सेलेक्सन में, सिफारिश और भाई-भतीजावाद के कारण सवा अरब की आबादी लिए हमारा मुल्क 147 वीं पायदान पर है !! शुक्र मनाओ !! कि हम बांग्लादेश और पाकिस्तान से कुछ ऊपर हैं !”
       अब छोटे मिंया कुछ संजीदा होकर बोले, “ पापा, अब क्रिकेट के IPL की तरह फुटबॉल में भी ISL (Indian Super League) शुरू हो गया है, अब भारत जरूर तरक्की करेगा. “ छोटे मिंयाँ की बात से इत्तेफाक जताते हुए हमने उनसे ये तस्वीर ले ली ..
          गौरतलब है कि सुनील छेत्री ने भाइचुंग भूटिया को पछाड़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल मैचों में भारत की तरफ से अब तक का सर्वाधिक 45 गोल करने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है.. चैतन्य आजकल छुट्टियों में फुटबॉल कोचिंग के लिए अम्बेडकर स्टेडियम जाता है वहीँ भारत की फुटबॉल टीम की विश्व कप क्वालीफाईग मुकाबलों का प्रथम चरण क्वालीफाई करने के बाद द्वितीय चरण को क्वालीफाई करने के लिए तैयारी चल रही है.
          स्वयं क्रिकेट का अच्छे स्तर का खिलाडी रहने के बावजूद भी, बेटे को क्रिकेट की चकाचौंध से अलग रखकर मैंने सदैव फुटबॉल के प्रति प्रोत्साहित किया है और .भारत में दूर दराज के गाँवों में भी अपनी पैंठ बनाये रखने वाले एकमात्र खेल फुटबॉल के उज्जवल भविष्य के प्रति आशान्वित हूँ. भारतीय फुटबॅाल टीम हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ ।
        क्रिकेट को दूसरे खेलों की दयनीय स्थिति का कारण बताकर विलाप करने से अधिक उचित है कि हम इस दिशा में स्वयं ही अपने स्तर पर पहल करें ...... सफलता तो सदैव भविष्य के गर्भ में समायी रहती है लेकिन हम प्रयास तो कर ही सकते हैं।
 

Saturday, 12 September 2015

मंजिल करीब आती हैं


मंजिल करीब आती हैं
कठिन राहों पर चलने के बाद
हासिल होता है कोई मुकाम
इम्तिहानों से गुज़र जाने के बाद..
 
... विजय जयाड़ा
 
 

Tuesday, 8 September 2015

कोई खुद से बुरा नहीं दिखता यहाँ !!




खुद को बुरा कोई कहता नहीं,
दूसरों में खोट हर कोई खोजता यहाँ !
ढूंढने लगो जो खोट खुद में अगर,
कोई खुद से बुरा नहीं दिखता यहाँ !! 

 विजय जयाड़ा