मुहब्बत से करो आगाज़
तो अजनबी भी करीब आते हैं
मुहब्बत है एक रूहानी मंजिल
जहाँ फ़रिश्ते भी सर झुकाते हैं....
तो अजनबी भी करीब आते हैं
मुहब्बत है एक रूहानी मंजिल
जहाँ फ़रिश्ते भी सर झुकाते हैं....
आज एक धर्म संगोष्ठी में पुलिस कमिश्नर श्री भूषण कुमार उपाध्याय साहब द्वारा अपने ओजस्वी विचारों को इस शेर से विराम देते सुना . बहुत अच्छा लगा मन हुआ कि आपके साथ भी साझा करूँ.
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