लोकतंत्र !! या ........... !!
साहिल से टकरा कर कब ... ठहरी है मौजों की मस्ती !
टकराना उनकी फितरत और चोट देना साहिल की हस्ती !!
.. विजय जयाड़ा
टकराना उनकी फितरत और चोट देना साहिल की हस्ती !!
.. विजय जयाड़ा
लोकतंत्र में नागरिकों द्वारा किसी मांग की उपयोगिता और अनुपयोगिता का मानदंड, उस मांग के पक्ष में खड़े नागरिकों का संख्या बल है !! अर्थात लोकतंत्र में सिर गिने जाते हैं !! एक ओर मंगल पर बसने की छटपटाहट और दूसरी ओर .. विचार से अधिक संख्या बल को तरजीह !! सौभाग्य कहा जाय या दुर्भाग्य !! खैर..ये एक अलग विषय है ...
बहरहाल, संख्या बल के उचित छायांकन द्वारा ही इलैक्ट्रोनिक मीडिया व प्रिंट मीडिया के माध्यम से सम्बंधित पक्षों को प्रत्यक्ष व प्रभावशाली सन्देश भी दिया जाता है .. जिससे बाद ही उनकी कुम्भकर्णी नींद खुलती है !!
इसी क्रम में कल तीन माह के बकाया वेतन को शीघ्र जारी करने की मांग के पक्ष में खड़े दिल्ली के सभी संवर्गों के निगम कर्मचारियों द्वारा सम्मिलित रूप से ऐतिहासिक संख्या बल द्वारा सामूहिक असंतोष व आक्रोश प्रदर्शित करने के उद्देश्य से सिविक सेंटर, अजमेरी गेट से जंतर मंतर तक विशाल ऐतिहासिक शांति मार्च निकाला गया ..
हालांकि मैं पेशेवर फोटोग्राफर नहीं और न ही मेरे पास बहुत एडवांस कैमरा ही है !!लेकिन संख्या को प्रदर्शित करने के लिए मैंने कभी मीडिया वैन का तो कभी ऊंचे फ्लाई ओवर की साइड प्रोटेक्शन का सहारा लिया. कनाट प्लेस में ऑटो पर चढ़कर क्लिक कर रहा था कि अचानक रास्ता मिलते ही ऑटो मुझ लटके हुए को लेकर आगे बढ़ गया !!
समूह में स्वयं की भागीदारी सुनिश्चित करना और साथ ही पूरे जन सैलाब का छायांकन करना, परिश्रमपूर्ण कृत्य महसूस हुआ .. क्योंकि यहाँ विशाल जनसमूह को सड़क पर एकाएक कवर करने के लिए ऊंचा स्थान मिल पाना कठिन होता है ..
सफल छायांकन भी आन्दोलन को गति प्रदान करता है .. संख्या बल का प्रभावी छायांकन करने में मैं कितना सफल हो पाया ! हर तस्वीर को देखकर ज्यादा सटीक मूल्यांकन तो आप ही कर सकते हैं !!