सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला, 2016.. फरीदाबाद
अरावली पहाड़ियों पर 1987 से प्रारंभ किये गए “सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला” के बाद, प्रागैतिहासिक काल अवशेषों से जुड़े सूरजकुंड क्षेत्र ने अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर हस्त शिल्प व पुरा अवशेषों के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बना ली है. मेले की लोकप्रियता का अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि गत वर्ष कुल 12 लाख पर्यटक मेले में आये इनमे से एक लाख साठ हजार विदेशी पर्यटक थे..दिल्ली हरियाणा सीमा से लगे सूरजकुंड में ग्रामीण परिवेश के महकते वातावरण में 1 फरवरी से 15 तक चलने वाले इस मेले में कई देशों के हस्तशिल्प स्टाल लगे हैंऔर भारत के विभिन्न राज्यों के हस्त शिल्पी अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं. जिससे स्वदेशी हस्त शिल्पियों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल रही है.
अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था के बीच चल रहे मेले में, पसंद आने पर आप हस्त शिल्प की वस्तुएं खरीद सकते हैं. दर्शकों के लिए पारंपरिक मनोरंजन के साधनों के अतिरिक्त विभिन्न मंडपों पर स्वदेशी व विदेशी कलाकारों के साथ बिंदास थिरक सकने व वाद्य यंत्रों को बजा कर आनंद ले सकने की भी व्यवस्था है..
सांस्कृतिक मंच.." चौपाल " पर समय देना न भूलियेगा , यहाँ पर प्रतिदिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर के देशी व विदेशी कलाकार अपनी स्वस्थ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम मेले में होने वाली थकान को दूर करने में पूर्ण समर्थ हैं.
सप्ताह के सामान्य दिनों में मेले में प्रवेश हेतु टिकट दर 80 रुपये औए सप्ताहांत दिनों में 120 रुपये है.
सोचता हूँ यदि उत्तराखंड में भी इस तरह की पहल हो तो वहाँ के हस्त शिल्पियों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल सकती है जिससे प्रदेश का पर्यटन व हस्त शिल्प राजस्व भी बढ़ सकता है।
क्षेत्र के पुरातन इतिहास व पुरातन अवशेषों के सम्बन्ध में फिर कभी साझा करूँगा ..